गुरुवार, 7 मई 2009

कभी हार कर ललकार कर .......! ..........!!





आत्म कथ्य


यह पयाम भी है और पैगाम भी !

उस दोस्त के नाम , जो ज़िंदगी को लाश में बदल देना चाहता है ;........ या मरकर या जीकर । उसी अनजाने दोस्त के लिए जिंदगी का मेरा अपना फलसफा ...............एक 'ललकार' की उम्मीद में
.........................................................................................................................जो कि उसमे है !


कभी हार कर ललकार कर ललकार कुछ हारा तो है
मुन्तजिर है मौत तो क्या , सब जिया सारा तो है


ले हवाएँ चल पड़ीं जिस ओर,उड़ता चल वहीं
गर्द
के हक में जहां आकाश ये सारा तो है

बाँट
लेगा कौन तेरी जिंदगी को मौत को
पूछ ख़ुद से फ़िर बता इन्सान सा प्यारा तो है

बचपना
क्या ,क्या जवानी , जिंदगी की शाम क्या
जो
मिला गर बद कहीं ,कुछ कुछ को पुचकारा तो है


करने के पहले कोई शिकवा , 'खुदी' से पूछ ले
देख तुझसे भी जियादा वक़्त का मारा तो है

क्या लगा था दांव पर जो ,रो रहा दुनिया से यूँ
तुझसे
भी बदबख्त ,जीते जी कोई हारा तो है

मत समझ के दांव कोई जिसपे तू लग जाएगा
जीत कैसी ,हार क्या , ये खेल ही सारा तो है

पाल मरने का भरम सच में ना तू मर पायेगा
गर अगरचे जान ले आशिक जहान सारा तो है

तुझको
लाया वो जमीन पर एक दिन ले जाएगा
कह सकेगा ? वक़्त को थोड़ा सा ललकारा तो है

29 टिप्‍पणियां:

  1. ले हवाएँ चल पड़ीं जिस ओर,उड़ता चल वहीं ।
    गर्द के हक में जहां आकाश ये सारा तो है ।
    बहुत सुन्दर फ़लसफ़ा.......

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  2. zindagee raundke badh gayaa koyee,
    warnaa zindagee to zindagee hai,
    wo laashmeme tabdeel kaise hogee?
    jab use denewaalaa aur koyee,
    lenewaalaa bhee hai aurhee koyee,
    wo kudse kabhee martee nahee...!
    maaree jaatee hai,ikhtiyaar usko nahee!!

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  3. Sundar tasveer hai...ujaalekee or badhtee huee, akelee-see raah...lekin badee prateekatmakbhee...bhavishy hameshaa dhund mehee rehetaa hai...

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  4. तुझको लाया वो जमीन पर एक दिन ले जाएगा ।
    कह सकेगा ? वक़्त को थोड़ा सा ललकारा तो है ।

    bahut khoob, poori rachna kabile tareef, har sher shaandaar. bahut bahut badhai.

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  5. ले हवाएँ चल पड़ीं जिस ओर,उड़ता चल वहीं ।
    गर्द के हक में जहां आकाश ये सारा तो है ।
    skaratmk ta ke aspas
    bahut khub

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  6. bahut khoob Raj ji.....sundar prastuti hai yeh. badhaayi aapko!

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  7. karne se pahle koi shikva khudi se pooch le ,
    dekh tujhse bhi jiyada vaqt ka mara to hai . bahut khoob aur shaandaar . aaj aapke blog par aai aur bas padhti chali gai , sundar bahut badhiya :)

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  8. bahut badiya likha hai apne..kafi din huye ap mere blog par nahin aye..khanamasala mein maine ek naya recipe post kiya hai.

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  9. ले हवाएँ चल पड़ीं जिस ओर,उड़ता चल वहीं ।
    गर्द के हक में जहां आकाश ये सारा तो है ।
    बहुत ही अच्छी रचना है..भाव भी सकारत्मक सोच को बढ़ावा देते हुए ही हैं.

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  10. मत समझ के दांव कोई जिसपे तू लग जाएगा ।
    जीत कैसी ,हार क्या , ये खेल ही सारा तो है

    bilkul sahi kaha.
    poori rachna ka prawaah aur uski bhaavnayein behad achcha laga.

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  11. ले हवाएँ चल पड़ीं जिस ओर,उड़ता चल वहीं ।
    गर्द के हक में जहां आकाश ये सारा तो है ।

    लाख बदले ये ज़माना, तू हवाओं साथ चलना ना मगर यह सीख ले
    बह रहा है आज दरिया और समुन्दर ,बस अपनी ज़गह किनारा तो है

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  12. shandaar bhavavyakti

    आप अच्छा लिखते हैं ,आपको पढ़कर खुशी हुई
    साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है ,

    यूँ ही लिखते रही हमें भी उर्जा मिलेगी ,

    धन्यवाद
    मयूर
    अपनी अपनी डगर

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  13. करने के पहले कोई शिकवा , 'खुदी' से पूछ ले ।
    देख तुझसे भी जियादा वक़्त का मारा तो है ।

    कितना सही कहा आपने.....

    बहुत ही सुन्दर उर्जा और prerna deti rachna मन को baandh leti है......Waah !!!

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  14. shaandaar...is blog par itni kam kavitaaye kyon?..zara waqt nikaale aur aise khoobsoorat nazmo ko humaare saamne laate rahe :)

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  15. ले हवाएँ चल पड़ीं जिस ओर,उड़ता चल वहीं ।
    गर्द के हक में जहां आकाश ये सारा तो है ।
    बहुत ही सुंदर रचना.
    धन्यवाद

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  16. ले हवाएँ चल पड़ीं जिस ओर,उड़ता चल वहीं ।
    गर्द के हक में जहां आकाश ये सारा तो है ।
    Bahut badhiyaa panktiyan hain sir,.....jeevan ke liye achchhaa sandesha detee huyee...lekin afsos mujhe is bat ka hai ki.....6 mahiine se blog likh rahaa hoon...aur apke blog par ab tak pahuncha kyon naheen.shubhkamnnaye.
    HemantKumar

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  17. ले हवाएँ चल पड़ीं जिस ओर,उड़ता चल वहीं ।
    गर्द के हक में जहां आकाश ये सारा तो है ।

    इन दो पंक्तिओं ने बहुत कुछ कह दिया .....!!

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  18. क्या लगा था दांव पर जो ,रो रहा दुनिया से यूँ ।
    तुझसे भी बदबख्त ,जीते जी कोई हारा तो है ।


    बहुत ही सुन्दर गजल है आपकी !
    दिल को अच्छी लगी !

    मेरी हार्दिक शुभकामनाएं

    आज की आवाज

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  19. क्या लगा था दांव पर जो ,रो रहा दुनिया से यूँ ।
    तुझसे भी बदबख्त ,जीते जी कोई हारा तो है ।

    मत समझ के दांव कोई जिसपे तू लग जाएगा ।
    जीत कैसी ,हार क्या , ये खेल ही सारा तो है ।
    bahut sundar ,laazwab ,aage kya kahoo ?

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  20. pichhali baar is blog pe to khul nahi raha tha ,is dafe phir yahi ,magar jyoo hi jaane ko hui yah khazana haath lag laya bahut hi laazwaab .kuchh to vishesh karke .
    करने के पहले कोई शिकवा , 'खुदी' से पूछ ले ।
    देख तुझसे भी जियादा वक़्त का मारा तो है ।
    bahut khoob .main nahi jaanti rahi aap kavita bhi likhate hai .nayi cheez pata padi .

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  21. करने के पहले कोई शिकवा ,'खुदी' से पूछ ले।
    देख तुझसे भी जियादा वक़्त का मारा तो है ।

    क्या लगा था दांव पर जो ,रो रहा दुनिया से यूँ ।
    तुझसे भी बदबख्त ,जीते जी कोई हारा तो है ।


    बहुत खूब राज भाई

    कह लेते हैं दर्द अपना ,
    कम से कम हमें लफ्जों का सहारा तो है

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  22. Raj Bhai, aap bus kamal karte hai ,itnee door rah kar bhee sawal karte hai,koi apna hee khayaal kar le bhala ,aap hum sab ka khayaal karte hai,
    Bataiye kaisee lagee ye lines?Turant aap ke liye hi banayee hai.
    Pratapgarh mey kahan ke hai bhaiya.
    etna ta batain deyan.
    Aap ka chota bhai
    bhoopendra

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  23. डा. भूपेन्द्र भैय्या बहुतै आनंद भ . तोहार कुछवाई लाईन माँ इतना स्नेह आदर !

    हम प्रतापगढ़ के गाँव मरुआन ,पोस्ट दान्दुपुर (मुफ़्रिद ) क अही.रानीगंज तहशील ( पाहिले पत्ती) .rakhaha बाज़ार और दिलीप पुर के बीच माँ पडत.वैसे बेल्हा से कादीपुर घाट पार क सई नदी से पूरब.

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  24. jivan,mrityu apni jagah hai......par chalte kadmon ke saath waqt ki lalkar waqt ki maang hi to hai

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  25. मजा आ गया ....बहुत दिनों के बाद एक उल्लास और उमंग में उड़ती हुई कविता पढ़ने को मिला है...धन्यवाद

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  26. aaj kitni kvitaae pdh gai aapki. aap likhte hain yh aaj maloom hua. aap kahaan hain sir?? kaise hain??

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  27. Indu Puri जी आपको धन्यवाद .कभी कभार लिखता हूँ ,यूं ही . कविता कहानी व्यंग राजनैतिक आलेख ,हिंदी अंग्रेजी मराठी में .फिलहाल भारत में ही हूँ ,मुंबई में .

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आपकी राय हमारी प्रेरणा..आपका मार्गदर्शन हमारा धन .