गुरुवार, 15 जनवरी 2009

ज़िंदगी ...............?

ज़िन्दगी !

कैसे कटी ?

आहों में कोई !

चाहूं मैं कोई !

पाऊँ मैं कोई !

राहों में कोई !

वाहों में कोई !

बाहों में कोई !

सच में कोई ?????????????

बुधवार, 14 जनवरी 2009

जिस को चाहा उसी को रुलाते रहें..........................???

जिस को चाहा उसी को रुलाते रहें ?
याद करते रहें ? याद आते रहें ?

साथ चल कुछ कदम लड़खडाने लगें ?
कुछ गिरें ? कुछ उठें ? कुछ उठाते रहें ?

अज़नबी हो सकोगे ? बताओ जरा ?
कब तलक बोझ मन का उठाते रहें ?

कोई अपना रहे, कोई सपना रहे,
इस जमीं को ही ज़न्नत बनाते रहें ।

इतनी रुसवाईयाँ ? फ़िर से मिल ना सकें ?
कुछ मिटाते रहें , कुछ भुलाते रहें .

पलकें नम ही रहीं ,छुप के रोये भी हम ,
उनकी आंखों में काजल, सजाते रहें ।

बेवफ़ाई बहोत, हम से भी हो गयी !
वो भी तो हर डगर आज़माते रहें ।

हैं तराने फिजाओं में अब प्यार के ,
थोड़े चुन लें उन्हें गुनगुनाते रहें ।

शाम है जिंदगी की चलो तय करें ,
जो बची है उसे , मुस्कुराते रहें ।

कोई मुश्किल नहीं, जिंदगी ही तो है !
साथ ही हर कदम हम बढाते रहें ।

जो जलें तो जलें इक ' शमा ' की तरह ,
सब हथेली में जिसको सजाते रहें ।